चलो एक दीया अपने दिल के अंदर जलालें,
और रोशन करलें मानबता के उजाले से मन को,
फिर न कोई जात-पात की सोच होगा और न प्रांतीयता का विचार।
चलो एक दीपक अपने ज्ञान के घर में जलालें,
और देखलें कि सारा संसार आस्थाओं से भरी पड़ी है,
फिर किसी और के आस्था या धर्म हमें गलत नजर न आएगा।
चलो एक दीप से अपनी बुद्धि को हम चमकालें,
और देखलें कि जीवन कितना छोटा, समय कितना बलवान,
फिर जलन, घृणा, झूठ, कपट के जगह सच, प्यार, सदाचार आ जाएगा।
चलो एक प्रदीप से अपनी सोच को उद्दीप्त करलें,
इंसान प्रकृति, मृत्यु के सामने कितना लाचार पता चल जाएगा,
फिर हमारे पद, पैसा, सामाजिक प्रतिष्ठा का घमंड उतर जाएगा।
चलो एक चिराग से अपने विवेक को प्रदीप्त करलें,
किसी और के बच्चों मैं हमें अपना बच्चा नजर आएगा,
फिर न होगा कोई बालमजदूर और न कोई नारी निर्जातना होगा।
और रोशन करलें मानबता के उजाले से मन को,
फिर न कोई जात-पात की सोच होगा और न प्रांतीयता का विचार।
चलो एक दीपक अपने ज्ञान के घर में जलालें,
और देखलें कि सारा संसार आस्थाओं से भरी पड़ी है,
फिर किसी और के आस्था या धर्म हमें गलत नजर न आएगा।
चलो एक दीप से अपनी बुद्धि को हम चमकालें,
और देखलें कि जीवन कितना छोटा, समय कितना बलवान,
फिर जलन, घृणा, झूठ, कपट के जगह सच, प्यार, सदाचार आ जाएगा।
चलो एक प्रदीप से अपनी सोच को उद्दीप्त करलें,
इंसान प्रकृति, मृत्यु के सामने कितना लाचार पता चल जाएगा,
फिर हमारे पद, पैसा, सामाजिक प्रतिष्ठा का घमंड उतर जाएगा।
चलो एक चिराग से अपने विवेक को प्रदीप्त करलें,
किसी और के बच्चों मैं हमें अपना बच्चा नजर आएगा,
फिर न होगा कोई बालमजदूर और न कोई नारी निर्जातना होगा।