कली से हम फूल बने,
जो टूटे डाल से किसी दिन
तो तेरे चरणों कि धूल बने।
न इनसानों के गले लागूं
न मौजी कि कलाई पर,
न शमसान की शोभा बनूं
न बनूं मैं गजरे कि लहर।
अपनी खुसबू अगर बिखरे
तो आंगन हो तेरे मंदिर का
अगरु, धुप से मिल कर मैं
मन मोहलूं अपने ईश्वर का।
मेरी रंगत से और निखरे
पीले देहबास तेरे तन का,
अंजली भर मैं चूम लूं
कण कण रज तेरे चरणों का।
छोटे से इस जीवन को
जो तेरी सेवा का अवसर मिले,
जनम सफल हो जाए मेरा
ऐसा मुझे आशीष मिले ।
Its really nice lines
ReplyDeleteNice line
ReplyDeleteNice line sir I respect you from the bottom of my heart
ReplyDeleteSo nice.
ReplyDeletePlease send your writing 888964047
Excellent
ReplyDelete9303389223
ReplyDeleteSir, you are a very nice person serving to the society and the Nation. Your writing may bring a new era in the world of darkness.
ReplyDeleteMet you in the train physically. CA Avinash Beriwal
एक मनुष्य का फूल के माध्यम से ईश्वर के प्रति बड़ा ही सुंदर समर्पण दिखाया है आपने...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर पंक्तियाँ ...
पहली दो पंक्तियाँ ही मुझे सबसे अच्छी लगीं...
It's very nis
ReplyDeleteVery nice one sir
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