जब आप सामने होते हो;
तो आसमान में तारे टिमटिमाते हें,
चाँद मंद मंद मुस्कुराता है,
वर्ना, नजर में बेनूर अंधेरा छा जाता है,
दिल गहरे काले सन्नाटे में डूब जाता है।
जब आप सामने होते हो;
तो कोयल गाना गाती है,
बसंत फूलों कि बहार सजाता है,
वर्ना, सूरज आग उगलता है,
मेरे मन का वाग झुलस झुलस जाता है।
जब आप सामने होते हो;
जमीन पर जन्नत उतर आती है,
हवा में फूलों की भीनी भीनी खुशबू बिखेरजाते हैं,
वर्ना, हमारे लिए नरक का दरवाजे खुल जाते हैं,
हम पीड़ा से हर पल हजार बार मर मर जाते हैं।
जब आप सामने होते हो;
तो कविता छंदमय हो जाती है,
शव्द-ओ-भाव ताल में नाचने लगते हैं,
वर्ना, मेरे लेख पागल का प्रलाप हो जाता है,
मुझसे कविता की हत्या हो जाती है।
तो आसमान में तारे टिमटिमाते हें,
चाँद मंद मंद मुस्कुराता है,
वर्ना, नजर में बेनूर अंधेरा छा जाता है,
दिल गहरे काले सन्नाटे में डूब जाता है।
जब आप सामने होते हो;
तो कोयल गाना गाती है,
बसंत फूलों कि बहार सजाता है,
वर्ना, सूरज आग उगलता है,
मेरे मन का वाग झुलस झुलस जाता है।
जब आप सामने होते हो;
जमीन पर जन्नत उतर आती है,
हवा में फूलों की भीनी भीनी खुशबू बिखेरजाते हैं,
वर्ना, हमारे लिए नरक का दरवाजे खुल जाते हैं,
हम पीड़ा से हर पल हजार बार मर मर जाते हैं।
जब आप सामने होते हो;
तो कविता छंदमय हो जाती है,
शव्द-ओ-भाव ताल में नाचने लगते हैं,
वर्ना, मेरे लेख पागल का प्रलाप हो जाता है,
मुझसे कविता की हत्या हो जाती है।
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