बहारो के दिन तो नहीं है,
पर वो जमीं कुछ इत्तफाकन कर,
उनको पसंद है रंग-ओ-नूर,
जरा गुलों का एहसान कर।
सर्द मौसम है ओ सूरज,
जरा तेज कर लो अपनी किरण,
ठण्ड से कही ठिठुर न जाए,
मेरे सरकार की नाजुक बदन।
बिछाकर रखना रात भरचाँद,
तुम अपनी दूधिया रेशमी चादर,
जश्न रात है आज उनकी,
कहीं रह न जाए कोई कसर।
सजा दो अम्बर में हर ओर तारों,
तुम्हारा चमचमाती झालर,
बस उनको खुस हो जाने से,
होगा तुम्हारा बड़ा एहसान मुझपर।
बड़ा खास दिन है आज उनकी,
मुद्दतों के इंतजार बाद आई है,
दिवाना इस दिल की सागर में,
खुशिओं का अनगिनत हिल्लोर लाइ है।
आज उनके जमीं पर,
कदम रखने का शुभ दिन है,
शुक्र है कान्हा तेरा मुझ पर,
हम आज बड़े मुतमईन है।
पर वो जमीं कुछ इत्तफाकन कर,
उनको पसंद है रंग-ओ-नूर,
जरा गुलों का एहसान कर।
सर्द मौसम है ओ सूरज,
जरा तेज कर लो अपनी किरण,
ठण्ड से कही ठिठुर न जाए,
मेरे सरकार की नाजुक बदन।
बिछाकर रखना रात भरचाँद,
तुम अपनी दूधिया रेशमी चादर,
जश्न रात है आज उनकी,
कहीं रह न जाए कोई कसर।
सजा दो अम्बर में हर ओर तारों,
तुम्हारा चमचमाती झालर,
बस उनको खुस हो जाने से,
होगा तुम्हारा बड़ा एहसान मुझपर।
बड़ा खास दिन है आज उनकी,
मुद्दतों के इंतजार बाद आई है,
दिवाना इस दिल की सागर में,
खुशिओं का अनगिनत हिल्लोर लाइ है।
आज उनके जमीं पर,
कदम रखने का शुभ दिन है,
शुक्र है कान्हा तेरा मुझ पर,
हम आज बड़े मुतमईन है।
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