Saturday, 13 April 2019

तुम एक बादल, मैं एक बूँद हूँ,


तुम एक बादल,  मैं एक बूँद हूँ,
आज तुमसे अलग थलग हूँ, 
तुम मुझतक तो हो,पर मैं तुझतक नहीं हूँ ।   

जब से तुमसे अलग  हुआ हूँ 
संसार की धुआं-धूल में सना हुआ हूँ,
बेचैन हूँ, बेहाल हूँ, बेदम हूँ। 
  
पड़ा हूँ लहूलूहान इस जमीन पर ,
उठा लो,सँभाल लो,सँवार लो मुझे,
क्यूंकि  मैं तन-मन से तेरा ही तो हूँ। 

मैं इस प्रदूषण  से मुक्त रहना चाहता हूँ 
तेरी तरह स्वच्छ बनजाना  चाहता हूँ,
तुझ तक पहुँच जाना चाहता  हूँ।  

यह सच है की आज मैं तेरी तरह नहीं हूँ, 
पर तेरी कृपा हो तो तेरे योग्य बन सकता  हूँ,
मैं तुझसे हूँ , तुझमें समाजाना चाहता हूँ। 

मेरा अस्तित्व कल तुझमें था, 
आज तेरे कारन है, पर तुझसे भिन्न है,
इतनी मिन्नत है कल तुझमें ही रहे। 


 

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