देखो, सोचो, जयचंद यहाँ गद्दी की खातिर गौरी के चरण चूमता है,
पृथ्वीराज के इर्दगिर्द देखो ये दोगला षड़यंत्र के खंजर ले कर घूमता है।
अभी कुछ दिन पहले टी.वी . पर माननीय मणिशंकर अय्यर के पाकिस्तानी पत्रकारों के साथ वार्तालाप को देखा। बड़ा आश्चर्य लगा जब मैंने मणिशंकर महोदय को यह कहते हुए सुना की, "आप नरेंद्र मोदी को हटा दीजिए, भारत और पाकिस्तान की द्विपक्षीय संबंध बेहतर हो जाएगा।" कुछ सवाल मन में आए अगर महाशय सामने होते तो पूछ लेता।
१. क्या नरेंद्र मोदीजी तब शासन में थे जब १९६५ में भारत-पाक लड़ाई हुई थी ?
२.क्या नरेंद्र मोदीजी तब भारत का नेतृत्व कर रहे थे जब १९७१ में बांग्लादेश की आजादी के लिए भारत-पाकिस्तान में भिड़न्त हुई थी ?
३. जनरल मुशर्रफ़ के राज में १९९९ के कारगिल घुसपैठ के समय क्या नरेंद्र मोदीजी सत्ता में थे ?
४. गणतंत्र में जनता राजनैतिक दल और भाग्य का फैसला अपने मतदान के द्वारा करती है। २०१४ में करप्शन और नाकामयाबी से घिरा हुआ मणिशंकर अय्यरजी का राजनैतिक दल कांग्रेस को नरेंद्र मोदीजी के दल भारतीय जनता पार्टी ने बुरी तरह हराते हुए सत्ता से बाहर कर दिया था । गणतंत्र में यह सत्तापरिवर्तन कोई पहली बार नहीं हुआ। फिर वह कौनसी छटपटाहट है कि आप एक बिदेशी मुल्क से आप के देश में सत्ता परिबर्तन की गुजारिश कर रहे हें ?
५. नरेंद्र मोदीजी को भारत की जनता ने सत्ताशीन किया है। उनके कर्म अगर सही न हुए, अगर देश की जनता जनार्दन को उनपर भरोसा नहीं रहेगा तो ५ साल के बाद भारत के नागरिक ही उन्हें और उनके दल को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देंगे । पाकिस्तान का मीडिया या कोई बाहरी ताकत कैसे मोदीजी को हटा सकता है ?
मीडिया के लोग वकीलों जैसे खूब वाकपटु और तेज तर्रार होते हें। एक पत्रकार महाशय ने तुरंत पुछ लि, "हम कैसे मोदीजी को हटा सकते हैं ? क्या आप का इशारा आई.एस.आई. के तरफ है ?" महाशय सकपका गए । जवाब क्या दे सकते थे ? चलिए देखते हें किस तरीकेसे पाकिस्तान या उसके कोई संस्था मोदीजी को हटा सकता है। क्या आदरणीय मणिशंकर जी के मन में हो सकता है?
चलिए मोदीजी को हटाने का कुछ तरीका के ऊपर नजर डालाजाए ---
१. पांच साल के बाद जब चुनाव हो भा.ज.पा. हार जाए और मोदीजी सत्ता से बाहर हो जाए।या फिर भा.ज.पा. जीतने पर भी कोई और प्रधानमंत्री हो, मगर इसमें पाकिस्तान या पाकिस्तान की कोई संस्था या पाकिस्तान की जनता का कोई भूमिका नहीं हो सकता है। सिर्फ भारत के नागरिक ही यह काम को अंजाम दे सकते हें।
२. भा.ज.पा. में फुट पड़जाए, दल टुकड़ों में बाँट जाए और मद्यावधि चुनाव हो, और फिर मोदीजी सत्ता से बाहर हो जाए। इस में भी पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं हो सकता है।
३. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की हत्या होजाए। सिर्फ यही पाकिस्तान का खुफिआ एजेंसी आई.एस.आई करा सकता है। ये निष्कर्ष पर मैं नहीं पाकिस्तान के पत्रकार महोदय के सवाल से पहुंचा जा सकता है।
मणिशंकर महाशय की बातों की गंभीरता को जानने के लिए भारत और पाकिस्तान की राजनीति के तौर तरीके के ऊपर नजर डालना पड़ेगा।
स्वतंत्रता के बाद भारत से अलग हुए पाकिस्तान में जनता द्वारा चुनी गयी सरकारों को उनके कार्यकाल पूर्ण होने से पहले बर्खास्त करने की कई नजीर है। जनरल याकूब खान, जनरल याहिया खान, जनरल जिया-उल-हक़, जनरल परवेज मुसर्रफ जैसे सेना के मुख्य गणतंत्र को अपने बाहुबल से धुल धूसरित करने के कई उदहारण है। इस्कंदर मिर्जा(प्रथम राष्ट्रपति), नवाज सरीफ, बेनजीर भुट्टो और अंततः जनरल परवेज मुसर्रफ जैसे देश के भूतपूर्व शासकगण अपने मातृभूमि को छोड़ कर कई सालों तक बिदेश में शरण लेने पर मजबूर हुए हैं । लियाकत अली खान (प्रथम प्रधान मंत्री ) और बेनजीर भुट्टो के हत्या हुई है, जुलफिकर अली भुट्टो की फांसी हुई है। भारत में भी दो राष्ट्र प्रमुख की हत्या हुई मगर उनके कारण भिन्न है। देश को दो टुकड़ा होने से बचाने जैसा एक महिमापूर्ण कार्य के लिए श्रीमती इंदिरा गांधीजी शहीद हुए थे । पडोसी श्रीलंका को उसके आतंरिक समस्या में मदद करने जैसा एक महान काम के चलते आदरणीय राजीब गांधीजी की शहादत हुई थी। भारत हमेशा जनता और जनभावना को सम्मान किया है।
गंदी राजनैतिक खेल खेलिजनीवाली पाकिस्तान से मणिशंकर अय्यरजी किस तरह के सहायता की अपेक्षा करते थे ?
क्या आप पाकिस्तान जैसा राजनितिक माहौल भारत में चाहते हैं ?
भारत की संप्रभुता, प्रतिष्ठा, स्वायत्तता को मणिशंकर जी कैसे भूलगये पाकिस्तान से मोदीजी को हटाने के लिए मदद मांगते समय ?
आप जब बिदेश जाते हें, तब आप देश की आवाज होते हें, वहां की आवाम आपके आवाज से आप के देश की सोच और बिचार को सुनता है। यदि कोई यह कहे की ये आपकी अपनी भाषा था तो वह गलत होगा। आप जैसे बड़े नेता जब बिदेश जाते हें तो आप देश को प्रतिनिधित्व करते हें, कम से कम आप कांग्रेस का प्रतिनिधित्व तो जरूर कर रहे थे । क्या यही कांग्रेस की मंशा है की पाकिस्तान में जैसे जनमत को निरादर कर कई बार सत्ता में परिबर्तन हुआ है, भारत में भी ऐसा बदलाव पाकिस्तान के खुफिआ एजेंसी आई.एस.आई के सहायता से लाया जाए ?
सत्ता से दूर रहने का ये कैसी छटपटाहट है की आप अपने देश की प्रधानमंत्रीजी को हटाने की जिम्मेदारी पडोसी दुश्मन मुल्क को देना चाहते हें ?
क्या हमें इसी को अशहिष्णुता नहीं कहना चाहिए??
आपको इतिहास से कुछ सिखना चाहिए। भगत सिंह, राजगुरु,सुखदेव जैसे देशभक्तों को सूली पर चढा कर क्या अंग्रेज अपने शाशन को स्थायी कर पाये थे? आपको गलत फहमी है की मोदीजी के बाद आप सत्ता पर काबिज हो सकते हें। मनोहर पर्रिकरजी , डॉ. रमन सिंहजी, शिवराज सिंहजी, जैसे कई देश भक्त नेताओं में मोदीजी के आदर्श को आगे बढ़ाने की क्षमता है। कांग्रेस जैसा एक परिवार या व्यक्ति के इर्दगिर्द भाजपा की राजनीति मजबूर नहीं है । दुश्मन मुल्क से जेन केन प्रकारेण सत्ता में वापस आने के लिए मदद मांगना देश के लिए शर्मनाक बात है।
पृथ्वीराज के इर्दगिर्द देखो ये दोगला षड़यंत्र के खंजर ले कर घूमता है।
अभी कुछ दिन पहले टी.वी . पर माननीय मणिशंकर अय्यर के पाकिस्तानी पत्रकारों के साथ वार्तालाप को देखा। बड़ा आश्चर्य लगा जब मैंने मणिशंकर महोदय को यह कहते हुए सुना की, "आप नरेंद्र मोदी को हटा दीजिए, भारत और पाकिस्तान की द्विपक्षीय संबंध बेहतर हो जाएगा।" कुछ सवाल मन में आए अगर महाशय सामने होते तो पूछ लेता।
१. क्या नरेंद्र मोदीजी तब शासन में थे जब १९६५ में भारत-पाक लड़ाई हुई थी ?
२.क्या नरेंद्र मोदीजी तब भारत का नेतृत्व कर रहे थे जब १९७१ में बांग्लादेश की आजादी के लिए भारत-पाकिस्तान में भिड़न्त हुई थी ?
३. जनरल मुशर्रफ़ के राज में १९९९ के कारगिल घुसपैठ के समय क्या नरेंद्र मोदीजी सत्ता में थे ?
४. गणतंत्र में जनता राजनैतिक दल और भाग्य का फैसला अपने मतदान के द्वारा करती है। २०१४ में करप्शन और नाकामयाबी से घिरा हुआ मणिशंकर अय्यरजी का राजनैतिक दल कांग्रेस को नरेंद्र मोदीजी के दल भारतीय जनता पार्टी ने बुरी तरह हराते हुए सत्ता से बाहर कर दिया था । गणतंत्र में यह सत्तापरिवर्तन कोई पहली बार नहीं हुआ। फिर वह कौनसी छटपटाहट है कि आप एक बिदेशी मुल्क से आप के देश में सत्ता परिबर्तन की गुजारिश कर रहे हें ?
५. नरेंद्र मोदीजी को भारत की जनता ने सत्ताशीन किया है। उनके कर्म अगर सही न हुए, अगर देश की जनता जनार्दन को उनपर भरोसा नहीं रहेगा तो ५ साल के बाद भारत के नागरिक ही उन्हें और उनके दल को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देंगे । पाकिस्तान का मीडिया या कोई बाहरी ताकत कैसे मोदीजी को हटा सकता है ?
मीडिया के लोग वकीलों जैसे खूब वाकपटु और तेज तर्रार होते हें। एक पत्रकार महाशय ने तुरंत पुछ लि, "हम कैसे मोदीजी को हटा सकते हैं ? क्या आप का इशारा आई.एस.आई. के तरफ है ?" महाशय सकपका गए । जवाब क्या दे सकते थे ? चलिए देखते हें किस तरीकेसे पाकिस्तान या उसके कोई संस्था मोदीजी को हटा सकता है। क्या आदरणीय मणिशंकर जी के मन में हो सकता है?
चलिए मोदीजी को हटाने का कुछ तरीका के ऊपर नजर डालाजाए ---
१. पांच साल के बाद जब चुनाव हो भा.ज.पा. हार जाए और मोदीजी सत्ता से बाहर हो जाए।या फिर भा.ज.पा. जीतने पर भी कोई और प्रधानमंत्री हो, मगर इसमें पाकिस्तान या पाकिस्तान की कोई संस्था या पाकिस्तान की जनता का कोई भूमिका नहीं हो सकता है। सिर्फ भारत के नागरिक ही यह काम को अंजाम दे सकते हें।
२. भा.ज.पा. में फुट पड़जाए, दल टुकड़ों में बाँट जाए और मद्यावधि चुनाव हो, और फिर मोदीजी सत्ता से बाहर हो जाए। इस में भी पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं हो सकता है।
३. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की हत्या होजाए। सिर्फ यही पाकिस्तान का खुफिआ एजेंसी आई.एस.आई करा सकता है। ये निष्कर्ष पर मैं नहीं पाकिस्तान के पत्रकार महोदय के सवाल से पहुंचा जा सकता है।
मणिशंकर महाशय की बातों की गंभीरता को जानने के लिए भारत और पाकिस्तान की राजनीति के तौर तरीके के ऊपर नजर डालना पड़ेगा।
स्वतंत्रता के बाद भारत से अलग हुए पाकिस्तान में जनता द्वारा चुनी गयी सरकारों को उनके कार्यकाल पूर्ण होने से पहले बर्खास्त करने की कई नजीर है। जनरल याकूब खान, जनरल याहिया खान, जनरल जिया-उल-हक़, जनरल परवेज मुसर्रफ जैसे सेना के मुख्य गणतंत्र को अपने बाहुबल से धुल धूसरित करने के कई उदहारण है। इस्कंदर मिर्जा(प्रथम राष्ट्रपति), नवाज सरीफ, बेनजीर भुट्टो और अंततः जनरल परवेज मुसर्रफ जैसे देश के भूतपूर्व शासकगण अपने मातृभूमि को छोड़ कर कई सालों तक बिदेश में शरण लेने पर मजबूर हुए हैं । लियाकत अली खान (प्रथम प्रधान मंत्री ) और बेनजीर भुट्टो के हत्या हुई है, जुलफिकर अली भुट्टो की फांसी हुई है। भारत में भी दो राष्ट्र प्रमुख की हत्या हुई मगर उनके कारण भिन्न है। देश को दो टुकड़ा होने से बचाने जैसा एक महिमापूर्ण कार्य के लिए श्रीमती इंदिरा गांधीजी शहीद हुए थे । पडोसी श्रीलंका को उसके आतंरिक समस्या में मदद करने जैसा एक महान काम के चलते आदरणीय राजीब गांधीजी की शहादत हुई थी। भारत हमेशा जनता और जनभावना को सम्मान किया है।
गंदी राजनैतिक खेल खेलिजनीवाली पाकिस्तान से मणिशंकर अय्यरजी किस तरह के सहायता की अपेक्षा करते थे ?
क्या आप पाकिस्तान जैसा राजनितिक माहौल भारत में चाहते हैं ?
भारत की संप्रभुता, प्रतिष्ठा, स्वायत्तता को मणिशंकर जी कैसे भूलगये पाकिस्तान से मोदीजी को हटाने के लिए मदद मांगते समय ?
आप जब बिदेश जाते हें, तब आप देश की आवाज होते हें, वहां की आवाम आपके आवाज से आप के देश की सोच और बिचार को सुनता है। यदि कोई यह कहे की ये आपकी अपनी भाषा था तो वह गलत होगा। आप जैसे बड़े नेता जब बिदेश जाते हें तो आप देश को प्रतिनिधित्व करते हें, कम से कम आप कांग्रेस का प्रतिनिधित्व तो जरूर कर रहे थे । क्या यही कांग्रेस की मंशा है की पाकिस्तान में जैसे जनमत को निरादर कर कई बार सत्ता में परिबर्तन हुआ है, भारत में भी ऐसा बदलाव पाकिस्तान के खुफिआ एजेंसी आई.एस.आई के सहायता से लाया जाए ?
सत्ता से दूर रहने का ये कैसी छटपटाहट है की आप अपने देश की प्रधानमंत्रीजी को हटाने की जिम्मेदारी पडोसी दुश्मन मुल्क को देना चाहते हें ?
क्या हमें इसी को अशहिष्णुता नहीं कहना चाहिए??
आपको इतिहास से कुछ सिखना चाहिए। भगत सिंह, राजगुरु,सुखदेव जैसे देशभक्तों को सूली पर चढा कर क्या अंग्रेज अपने शाशन को स्थायी कर पाये थे? आपको गलत फहमी है की मोदीजी के बाद आप सत्ता पर काबिज हो सकते हें। मनोहर पर्रिकरजी , डॉ. रमन सिंहजी, शिवराज सिंहजी, जैसे कई देश भक्त नेताओं में मोदीजी के आदर्श को आगे बढ़ाने की क्षमता है। कांग्रेस जैसा एक परिवार या व्यक्ति के इर्दगिर्द भाजपा की राजनीति मजबूर नहीं है । दुश्मन मुल्क से जेन केन प्रकारेण सत्ता में वापस आने के लिए मदद मांगना देश के लिए शर्मनाक बात है।
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