आप क्या गए ये शहर बेगाना सा लगा ,
अजनबीओं के बीच रहना बेमानी सा लगा।
न आप आए और न आपकी कोई खबर ,
बेहाल इस दिल पर न थी आपकी नजर।
ज़िन्दगी के सारे मजे आप लूटते रहे ,
गम-ए-जुदाई के हाथ हम पिटते रहे।
बेरुखी छोड़ जानम कुछ तो रहम कर,
दीवाने आशिक पर नजरे करम कर।
मिटजाऊंगा मरजाऊँगा तेरी इस नादानी पर ,
सारी जिन्दगी लुटा दूँगा अपने दिल की रानी पर।
अजनबीओं के बीच रहना बेमानी सा लगा।
न आप आए और न आपकी कोई खबर ,
बेहाल इस दिल पर न थी आपकी नजर।
ज़िन्दगी के सारे मजे आप लूटते रहे ,
गम-ए-जुदाई के हाथ हम पिटते रहे।
बेरुखी छोड़ जानम कुछ तो रहम कर,
दीवाने आशिक पर नजरे करम कर।
मिटजाऊंगा मरजाऊँगा तेरी इस नादानी पर ,
सारी जिन्दगी लुटा दूँगा अपने दिल की रानी पर।
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