होश में तो छोड़ मेरी नजर ख्व्बों में भी छलक आयी ।
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे बगैर ,
अपने दिल में झांक कर तू इसका अंदाजा कर।
तू ही बता अब उसका कौन है सहारा ,
जो गैरों से नहीं अपनों से ही हारा ?
माझी जब नैया डुबोने पर उत्तर आए ,
सवारी अपना दुखड़ा किसको सुनाए ?
खुदा अगर बन्दे पे नाराज हो जाए ,
बेचारा बंदा अपना माथा कहाँ झुकाए ?
ऎसी भी क्या थी तेरी मज़बूरी ,
गैरों से करीबी अपना से दुरी।
जाने-अनजाने में मुझसे हुआ कोई दोष ,
बक्स दो या सजा दो मगर छोड़ दो ये रोष।
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