दुःख हो ख़ुशी हो, हर्ष हो रोष हो,
सन्तुष्टि हो, असन्तोष हो,
हर भाव का आप के पास एक ही निदान,
एक मधुर मुस्कान; माँझीदा।
दिल ओ दिमाग का तालमेल हो,
जहां जिसकी जरूरत
वहां उसी का
खेल हो,
कोई पात पात हो आप डाल डाल
हो,
बुद्धि की कुश्ती में
बेमिसाल हो; माँझीदा।
चेहरे को देख कर भाव को पढ
लें,
या शस्त्र उठा लें या
दोस्ती का हाथ वढा लें,
सवाल से पहले जवाब को गढ
लें,
एैसा हुनरमंद; माँझीदा।
हर उन्नीस पर बीस, हर नहले पर दहला,
तुरूप का पत्ता है हर वक्त हासिल,
हर हार को जीत में कर दें तब्दील,
एैसा है काबिल;माँझीदा।
टिप्पणी:हमारे आदरनीय माँझी दा के लिए सेवानिवृत्ति संगीत है।
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