दिन-रात आंसुओं के अथाह सागर में डूब कर,
ले आया आपके लिए खुशियों के मोतिओं का उपहार।
दुःख की घनघोर अंधेरी राह में हम
निरंतर चलते रहे,
मगर आपके होठों पर मुस्कान हम बराबर बिखेरते रहे।
अकेलेपन के पहाड़ की दुर्गम खड़ी चढ़ाई पर भी,
हम झुलसते रहे अलगाव के गर्म
रेगिस्तान में जब,
तनिक भी नहीं मुरझाया आप पर मेरी आस्था का गुलाब।
अवसाद के प्रतिकूल प्रवाह में, मैं छटपटाता रहा,
फिर भी मेरा नजरिया सकारात्मक बना रहा ।
नियति के दिए
हुए नारकीय दिनों को
ढोते हुए ,
हम सौम्यता ओ मानवता के पथ पर अडिग रहे।
कैसे हुआ यह सब क्या आप जानते हें?
कैसे किया मैं यह करतब क्या आप समझते हें?
एक शानदार,अनुपम,सकारात्मक,आतंरिक
प्रवाह है, प्रेम;
प्रवाहमान मनुष्य के व्यक्तित्व में निखार लाता है, प्रेम।
सच्चा प्रेमी, मुस्कान के साथ
दर्द का जहर पीता जाता है,
उसी मुस्कान के साथ आनंद
की अमृतधारा वहाता जाता है।
Wonderful.
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