तेरे प्रेम उद्यान का शब्द अपार ,
मेरी मानस जिव्हा को फल अति मधुर।
मेरी खुशी के स्वास्थ्य को पोषक ढेर,
तेरी प्रीतिपूर्ण वाणी का अनमोल उपहार।
मगर मायूस कर्णपट उनबिन आज,
नाराज़ जो हैं आप, मेरे सरताज़।
तन दुर्बल दिन दिन मन बिषाद घोर,
पीड़ा असहनीय, जीना हुआ जहर।
किस विवशता से हो अपने प्रियतम से दूर,
विछोह की सज़ा दिए क्या था मेरा कसूर।
न बाल, न बृद्ध हो कि प्यार आपके बोध से है पार,
सब जानकर भी चुप हो कैसे कठोर।
क्या जुदाई की दर्द-ओ-तड़प से हो अनजान,
क्या कभी कोई न बना तेरे दिल का मेहमान।
सोए जो हो आज जाग्रत मैं कैसे उठाऊं,
न मानने की ठान लिए हो तो कैसे मनाऊं।
पत्थरदिल हो ,या दिल पर पत्थर है समझ न पाऊँ,
अपना दर्द सुनाने जाऊं तो कहाँ जाऊं।
बहुत हो चुकी प्यार में सजा अब तोआजाओ,
मृतवत जिया हूँ कुछ तरस तो खाओ।
मेरी मानस जिव्हा को फल अति मधुर।
मेरी खुशी के स्वास्थ्य को पोषक ढेर,
तेरी प्रीतिपूर्ण वाणी का अनमोल उपहार।
मगर मायूस कर्णपट उनबिन आज,
नाराज़ जो हैं आप, मेरे सरताज़।
तन दुर्बल दिन दिन मन बिषाद घोर,
पीड़ा असहनीय, जीना हुआ जहर।
किस विवशता से हो अपने प्रियतम से दूर,
विछोह की सज़ा दिए क्या था मेरा कसूर।
न बाल, न बृद्ध हो कि प्यार आपके बोध से है पार,
सब जानकर भी चुप हो कैसे कठोर।
क्या जुदाई की दर्द-ओ-तड़प से हो अनजान,
क्या कभी कोई न बना तेरे दिल का मेहमान।
सोए जो हो आज जाग्रत मैं कैसे उठाऊं,
न मानने की ठान लिए हो तो कैसे मनाऊं।
पत्थरदिल हो ,या दिल पर पत्थर है समझ न पाऊँ,
अपना दर्द सुनाने जाऊं तो कहाँ जाऊं।
बहुत हो चुकी प्यार में सजा अब तोआजाओ,
मृतवत जिया हूँ कुछ तरस तो खाओ।
have/will you done/do an english version dear boy?
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