जा के सुमिरत अनवरत मोर आराध्य नंदकुमार,
सो श्रीराधा चरण शरण मोर मन होए अधीर |
जे नित गोविंद मन गत परम अमित प्रेममयी अविनाशी,
सो श्रीराधा बंदे प्रदीप्त भवसागर पार अभिलाषी |
अलौकिक असोच्य शाश्वत कृष्ण साथी,
बंदे श्रीराधा अद्वितीय आदर्श प्रेममूर्ती |
वृंदावनविहारिणी , कमलिनी कृष्ण हृदयसंगिनी,
असीम भक्ति सागर कृपा कीजै श्रीराधारानी |
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