हे बैकुण्ठवासी, देव अविनाशी,
तुमको है नमन, तुमको मेरा प्यार।
तुम मेरे मीत,तुम ही मेरी प्रीत,
मेरा सर्वस्व तुम हो, हे नाथ नटवर।
तुम मेरी भक्ति, तुम हो मेरी शक्ति,
मेरे लिए तुम ही हो सारा संसार।
यह जगत क्या है, तेरा बसाया है,
तुम इसके मालिक, तुम पालनहार।
मेरा जीवन कैसा है, तेरा तराशा है,
इस अकिंचन आत्मा पर है तेरा उपकार।
जब तक मैं जीऊँ, धरती पर रहूँ,
मेरी साँस रहेगी तेरा कर्जदार।
बस एक ही ईच्छा, मैं लिखता रहूँ ,
तत्प्रीत्यार्थम, हे मेरे प्राण के आधार।
तुमको है नमन, तुमको मेरा प्यार।
तुम मेरे मीत,तुम ही मेरी प्रीत,
मेरा सर्वस्व तुम हो, हे नाथ नटवर।
तुम मेरी भक्ति, तुम हो मेरी शक्ति,
मेरे लिए तुम ही हो सारा संसार।
यह जगत क्या है, तेरा बसाया है,
तुम इसके मालिक, तुम पालनहार।
मेरा जीवन कैसा है, तेरा तराशा है,
इस अकिंचन आत्मा पर है तेरा उपकार।
जब तक मैं जीऊँ, धरती पर रहूँ,
मेरी साँस रहेगी तेरा कर्जदार।
बस एक ही ईच्छा, मैं लिखता रहूँ ,
तत्प्रीत्यार्थम, हे मेरे प्राण के आधार।
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