उस अदृश्य डोर का क्या कहना,
जिससे बंधा है सारा संसार,
सारे विद्यमान दृष्ट ओ अदृष्ट,
तेरी शक्ति और तेरा प्यार।
तेरी इच्छाओं से आत जात है,
घटनाएं, प्राणी यंत्र प्रकार,
मानव जीवन, संलग्न सुख,
सर्वस्व है तेरा महा उपकार।
कैसे चुकाऊँ यह ऋण हे देव,
क्या लिए जाऊं तेरे द्वार,
जो देखूँ या सोचूं सकल तेरा है,
देता हूँ तुझे मैं अपना प्यार।
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