चाँदी के पालने पर सजी है,
मुलायम मखमल की सेज।
सादगी से झूला झूल रहे हैं,
देखो कैसे मासूम देवराज।
रूप मधुर, मुस्कान मधुर,
मधुर सर्वांग नंदकिशोर,
लीला मधुर , खेला भी मधुर,
मधुरिमा छाई है हर ओर।
तैरा रहे हैं हर ओर एक ,
आश्वस्त पर भोली सी नजर,
जैसे सम्पूर्ण अपरिचित हो
अपनी ही सृष्टि से मायाधर।
खींच रहे रजु भक्त सकल
सिरा धर बड़े भाव विभोर,
जिनके सांसों की अदृश्य रजु
थामें हँस रहे हैं गिरधर।
कौन पालने में है असहाय,
कौन वस्तुतः करता है खेला,
कौन किसे इस धराधाम में
अनायास झुला रहा है झूला।
यही है समझ, यहीं ज्ञान है
यहीं पर सत्य है यहीं माया,
पर माया यहाँ सत्य प्रतीत
सत्य प्रतीत अप्रकाश्य माया।
विरह आतुर, प्रीति अधीर,
भकती विस्वास से भरपूर,
ध्यान स्थिर, नयन भरे नीर
दासों का दास है भावविभोर।
मुलायम मखमल की सेज।
सादगी से झूला झूल रहे हैं,
देखो कैसे मासूम देवराज।
रूप मधुर, मुस्कान मधुर,
मधुर सर्वांग नंदकिशोर,
लीला मधुर , खेला भी मधुर,
मधुरिमा छाई है हर ओर।
तैरा रहे हैं हर ओर एक ,
आश्वस्त पर भोली सी नजर,
जैसे सम्पूर्ण अपरिचित हो
अपनी ही सृष्टि से मायाधर।
खींच रहे रजु भक्त सकल
सिरा धर बड़े भाव विभोर,
जिनके सांसों की अदृश्य रजु
थामें हँस रहे हैं गिरधर।
कौन पालने में है असहाय,
कौन वस्तुतः करता है खेला,
कौन किसे इस धराधाम में
अनायास झुला रहा है झूला।
यही है समझ, यहीं ज्ञान है
यहीं पर सत्य है यहीं माया,
पर माया यहाँ सत्य प्रतीत
सत्य प्रतीत अप्रकाश्य माया।
विरह आतुर, प्रीति अधीर,
भकती विस्वास से भरपूर,
ध्यान स्थिर, नयन भरे नीर
दासों का दास है भावविभोर।
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