Sunday 24 March 2019

असाधु गठजोड़

यह  देखो लुटेरे कर लिए  हैं जोट,
बटोरने चले हैं बेईमानी से वोट,
व्यक्ति ईमानदार को हराने कि  खातिर,
देश के  चौकीदार को  घेर लिए हैं  शातिर ।

चरित्र कुछ नहीं है इस असाधु मेल का,
वजूद बचाना है मक़सद उनके खेल का,
मांगते हैं वोट देखो जाति, धर्म  के नाम पर
देश की अखंडता का नहीं है उनको फ़िकर।

यह बुखार उनको तब से चढ़ा है,
जब से आधारकार्ड बैंक खाते से जुड़ा है
जब से विमुद्रीकरण का डंडा उनपर पड़ा है,
सुख चैन घोटालेबाजों का तभी से  उडा  है।

जब से   मोदीजी किए हैं सर्जिकल स्ट्राइक,
आतंकी  ठिकानों पर हुआ है एयर स्ट्राइक,
तब से जातीयता की  लहर से घबराए हुए  हैं,
सारे छद्म सेकुलर एक मंच पर आए हुए हैं। 

उनके डर की एक और  है माकूल कारण,
मोदीजी तो दरवेश है न जऱ है  न जमीन, 
कहीं  बेनामी सम्पतिओं की  कर न लें छानबीन,
फिर तो महल के आदी  हो जाएंगे  वस्त्रहीन। 

अब  यह चुनाव में  उनका बस एक ही मुद्दा है
मोदीजी को हर हाल में हराना उनका एकल मसौदा है,
अपने राजनीति  की दुकान को चलाते जाना जो है
लूटे धन को कानून की जकड़ से  बचाना जो है।  

एक तरफ जाति और तुष्टिकरण की राजनीति ,
दूसरे ओर देश की अखंडता, अस्मिता  और प्रगति 
हारेंगे मोदीजी तो हारेगा देशप्रेम, हारेगी  ईमानदारी,
लूटेगा देश और खुश होंगे  तमाम  भ्रष्टाचारी। 

नोट -- लोग सोचते होंगे कि यह सब मैं मोदीजी के लिए लिख रहा हूँ ,यह गलत है। देश की चिरंतनता में व्यक्ति  या दल परिवर्तनशील घटनाक्रम से ज्यादा कुछ  भी नहीं है ।  एक लेखक को चाहिए की वह तटस्थ होकर अपना  ज्ञान सम्मत मत दे ,मुद्दे के आधार पर जो भी देशहित में हो वही  लिखे। मैं और  मेरा व्यक्तिगत नफ़ा-नुकसान, राजनैतिक पसंद-नापसंद(पक्षपात) देशहित की विवेचना करते समय आड़े नहीं आता है। यही दल, यही व्यक्ति अगर विपक्षिओं की तरह देश को जाति की आधार पर बांटे, या तुष्टिकरण की राजनीति करें तो मेरी  कलम उनके ख़िलाफ़ भी  मुख़र होने से पीछे  नहीं हटेगा। जय हिन्द। जय श्रीकृष्ण। 

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