Tuesday 16 April 2019

बिभाजनकारी

जीत जाओ तुम चुनाव चाहे,
नफ़रत  की बात तो मत करो,
बलि न दो देश की चैन-ओ अमन की,
हिन्दू- मुसलिम त न करो।

सदिओं से हम इस मिटटी पर,
एक साथ रहते आए हैं,
हर खुशी और गम को हम लोग,
आपस में बांटते आए हैं।

बित जाएगी चुनाव की मौसम,
ये गढ़ा तो न पट पाएगा,
गुजर तो जाओगे तुम सारे नेता,
एक कील कहीं रह जाएगा।

संभल जाओ ओ देश की प्रेमी,
 रहो तुम इस ज़हर से दूर,
 करो वही  जो तेरे विचार से,
देश की हित को हो मंजूर।

भोट  तुम्हारी है किसीको भी तुम दो,
देश की हित  का रखो ख़याल,
बिभाजनकारी सारे ताकतों से,
बचाकर रखो इसकी मुस्तक़बिल।   

नोट-----कुछ  पार्टी आज मुस्लमान भाईओं को एक हो कर मोदीजी के ख़िलाप  भोट देने की खुली अपील कर  रहे हैं।
1 क्या यह साम्प्रदायिकता नहीं ?
2. क्या यह भोट की ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं ?
3. क्या यह देश को हिन्दू-मुसलिम में बाँटने की प्रयास नहीं ?
4.  क्या एक आम चुनाव में हार-जीत देश की अखंडता से बढ़  कर  है ?
5 . उनके इस प्रकार के मुसलमन भाईओं को अपील करने से यदि कोई हिन्दू भाईओं  एकजुट हो कर मोदीजी को भोट  करने को अपील करता है, तो क्या वह "असहिष्णुता" या साम्प्रदायिकता कहलाएगा?
देश की समस्त जाति, धर्म और प्रान्त की  लोगों से गुजारिश है जो भी करो, देश, उसकी अखंडता और प्रगति के हक़ में  करो। भोट किसी को  भी दो, देश बिरोधी बातों को नजरअंदाज करो। यारी और प्यार बने रहे। 

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