Friday 12 April 2019

इनकी राजनिती

हम  आपको मुफ़्त में  पैसा देंगे,
एक रूपया में चावल देंगे,
हम को  सत्ता में  आना जो है।
फ़िर  चाहे जनता मुफ़्तखोर  बन जाए,
चहे तो खेत में अनाज़  न  उपजाएँ ,
हम को  सत्ता में  आना जो है।

हम किसानों की कर्जा माफ़ कर देंगे,
फ़र्जी  लाभार्थिओं को जाँच  नहीं करेंगे,
हम को  सत्ता में  आना जो है।
चाहे राजकोष   को कुछ भी  नुकसान हो,
देश  प्रगति के लिए पैसा बचते  हो या न हो,
हम को  सत्ता में  आना जो है।

हम तुष्टिकरण  की राजनिती  करेंगे,
हम  भाई को भाई से लड़वाएंगे,
हम को  सत्ता में  आना जो है।
फिर चाहे अविश्वास  का  माहौल बन जाएं,
देश भर में  नफरत की आग लग जाएं,
हम को  सत्ता में  आना जो है।

 कुछ  दल देश को अपाहिज़  बनाकर(७२०० रूपया सालाना रिश्वत  दे कर ), आवाम को मुफ़्तखोर  बना कर,   तुष्टिकरण  और भोट की ध्रुवीकरण की राजनिती  कर कर  सत्ता हथियाना चाहते  हैं। देश को  अंतराष्ट्रीय स्तर  में पहचान देना, विकशित देश की कतार  में ले जाना, भ्रष्टाचार से निपटना  उनकी सोच से बहार है। उच्च शिक्षा   को  देश की जन, जन तक पहुंचे, हमारे  बौद्धिक विकास हो  ये  उनकी एजेंडा नहीं है।  ये चाहते हैं की देश की गरीव जनता दो वक्त खा पि कर पड़े रहें , काम न करें, बच्चों को  न पढ़ाएं और हम क्या कर रहें हैं न पूछें। फिर चाहे देश कभी विकसित देश न कहलाए, हम  आए दिन आतंकवाद का शिकार हो, सत्ता हमको मिलना चाहिए।    

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