Thursday 7 May 2015

मैं क्या करूँ (गज़ल)

अ  जी  सरकार फरमाइए
                    पेश-ए-खिदमत क्या करूं , 
दिल जिगर या आपके 
                     हुजूर मैं हाजिर जां  करूँ ।

बाकी नहीं है कुछ जानिब में 
                      जनाब को सुपुर्द क्या करूँ,
इजाजत गर मिलती है तो,
                        खुद को सुपुर्द आप करूँ ।
ज़माने भर का डर जेहन में  
                      जम जाता है मैं   क्या करूँ ,
जरा सी बात पर जल जाता है जिगर
                        आप ही कहो मैं  क्या करूँ ।
जेहन में जनाब के ख्याल के सिवाय 
                  कुछ भी नहीं आता है मैं क्या करूँ ,
जहर बन जिस्म-ओ-जान,
                        जलाती है जुदाई मैं क्या करूँ ।    

No comments:

Post a Comment

ଆଜି ପରା ରଥ ଯାତ

https://youtu.be/38dYVTrV964 ଆଜି ପରା ରଥ ଯାତ, ଲୋ ସଙ୍ଗିନୀ ଆଜି ପରା ରଥ ଯାତ  ବଡ ଦାଣ୍ଡ ଆଜି ଦିବ୍ୟ ବୈକୁଣ୍ଠ ଲୋ  ରଥେ ବିଜେ ଜଗନ୍ନାଥ।  ଏ ଲୀଳାକୁ ଦ...