Sunday 4 November 2018

मुरलीवाले प्रियतम

हे श्याम मुरलीवाले प्रियतम  मेरे 
दरस दो न तरसाओ नयनन को मेरे।

दुःख  आग में तपा है जीवन बहुतेरा ,
तो  पिघला है स्वतः मन कंचन मेरा,
भाव का पावन बहाव उंकेरा है  मूरत तेरी,
उभरा है निखरकर उनमें सूरत हरि।

वह मूरत  वह सूरत अब इस निर्धन की है निधि,
एक अकिंचन पर तेरी असीम कृपा बारिधि ,
भीगनें  दो बहनें  दो आजीवन ये नयनन मेरे,
करो इतनी की मन रहे सदा स्थिर चरनन में तेरे। 

भर चुकी  है लौकिक प्राप्तिओं की कटोरी,
फिर भी आत्मा में एक प्यास रह गयी है अधूरी,
अब इस दिव्य कमी  को भी कर दो पूरी,
बस एक  बार दर्शन दे दो मेरे कृष्ण मुरारी।





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