Thursday 31 January 2019

गंगा माँ


उनके लिए गंगा माँ ,
तुम सिर्फ़ एक वहता पानी,
हिमालय  से निकलती ,
कल कल करती ,
सागर की ओर भागती  
वहता पानी।

मग़र मेरे लिए माँ,
तुम  एक महीयसी जननी,
जनक हिमाला  से आँचल छुड़ाती 
जीव, जहाँ को भिगोती,  सींचती ,
पहाड़ पठार से  लढ़ती,  जीतती 
समतल भूमि पर अमृत उढ़ेलती 
संतानों के हित को  सवांरती 
कल्याणकारिणी ममतामयी जननी,
आदर, सम्मान और पूजा की  अधिकारिणी।

  

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