Monday 14 November 2016

INTERNAL SURGICAL STRIKE(इंटर्नल सर्जिकल स्ट्राइक)

एक सेठ उपचार-गृह( nursing home) पहुँचता है, डॉक्टर से बोलता है, "सर, मैं ५ दिन से ठीक से सोया नहीं हूँ।
अगर थोड़ी झपकी लग भी जाता है, तो बुरे बुरे सपने आते हें। जीना हराम हो गया है। गद्दी पर बैठने की इच्छा नहीं होती है। जब तक हरे नोट का दर्शन न कर लूं, हलक से चाय तक नहीं उतरती थी। अबकी यह आलम है की नोटों का जिक्र भर होने से दिल की धड़कन तेज हो जाती है। कुछ दवा-दारू कीजिये। "
डॉक्टर साहेब बोले, "दवा तो मैं दूंगा, मगर बिस्तार से बताओ कैसे कैसे सपने आते हें ? कब से ये हाल है ?"
सेठ बोले, "साहेब जैसे ही झपकी आती है सपने में एक सफ़ेद दाढ़ी बाला आदमी आ धमकता है। मुझे हिलाकर उठाता है और पूछता है, 'सो गया क्या ?उसका क्या करोगे ?कुछ सोचा ?' मैं पूछता हूं 'तुम कौन हो भाई? चेहरा कहीं देखा हुआ सा लगता है। और तुम किसका कुछ करूंगा कर के पूछ रहे हो?' वह आदमी जबाब देता है, 'भाई और बहनों, हमे नहीं जानते हो? कोई बात नहीं, शीघ्र ही जान जाओगे। टीवी देखने का फुरसत नहीं होता होगा। कम से कम चाय तो पीते ही होंगे? कुछ साल पहले मैं चाय बेच रहा था। कई बार आप के गद्दी में आपको पिलाया हूँ। आप मुझे दो दिन में एक बार पैसे देते थे, वह भी दो तीन बार मांगने के बाद। भीन भीनाते  भीख देने जैसा चिल्हर फेंकते थे भूल गए? आप के गद्दी के सामने घंटो खड़ा रहने से आप के धन्दों-पानी, दुनियादारी सब समझ गया हूँ। आप के कितने जेब है और वो  कहां कहां है, आप के काले-सफ़ेद  सब जानता हुं।देश का कितना हक़ आप अपने तिजोरी में रखे हो मुझे मालूम है। देश एक परिबार ही तो है, फिर घर में देश का धन क्यों ? और फिर मैं किसीकी मेहनत की कमाई के ऊपर नज़र थोड़े ही डाल रहा हूँ।  १९४७  जो टिकस फंकी मारा था वो दे दो। और फिर चैन से धंदो करो। पहले भी आप को एक मौका दिया था।  जो दबाए हो और देश का हिस्सा हो निकाल दो, मैं कुछ नहीं पूछूँगा, कहाँ  से आए कैसे आए।  मगर आज़ादी से अब तक कभी कुछ हुआ नहीं बड़े लोगों का, सिर्फ कर्मचारियों का हिसाब सरकार रखता था, इसलिये ढीढ बने हुए हो। अब की बार चाय मेरा थोड़ा कड़क होगा, थोड़ी महंगी भी'।"
डॉक्टर साहेब बोले, "ढेर साल पहले एक  लड़का आप के गद्दी पर चाय देकर  मेरे क्लिनिक में चाय देने आता था, वह आज भारत का प्रधानमंत्री हो गए है।  आप नरेंद्र मोदीजी की बात कर रहे हो। वह कठोर अनुशासित अर. एस.एस. का देश भक्त है।  मेरे पास नींद की गोलियां के सिबाय और कुछ नहीं है आप को देने के लिए। आप का दवा सि.ए. के पास  हो सकता है की हो"।
सेठ सि.ए. के पास पहुँचते हें। अपना दुखड़ा रो कर मदत मांगते हें। सि.ए.बोलता है, "सेठजी, हमारे मदद की भी एक हद है। कल मोदीजी बोले हें उनकी दिमाग में कई और योजना है, कालापैसा निकलवाने का। कहीं मैं खुद न उलझ जाऊं अपने कागज कलम में। सेठजी बेहतर तो यह होगा की सीधा पैसा सरकार के पास जमा कर दीजिये और अपना हिस्सा ले लीजिये। नहीं तो मंदिर को दान दे दीजिये या गंगाजी में बहा दीजिये, भगवान भी खुस, कुछ पुण्य भी मिलजाएगा। 

No comments:

Post a Comment

ଆଜି ପରା ରଥ ଯାତ

https://youtu.be/38dYVTrV964 ଆଜି ପରା ରଥ ଯାତ, ଲୋ ସଙ୍ଗିନୀ ଆଜି ପରା ରଥ ଯାତ  ବଡ ଦାଣ୍ଡ ଆଜି ଦିବ୍ୟ ବୈକୁଣ୍ଠ ଲୋ  ରଥେ ବିଜେ ଜଗନ୍ନାଥ।  ଏ ଲୀଳାକୁ ଦ...