Sunday 28 July 2019

मेरी बात और है,

ज़रूरत  भर की दोस्ती,
मुझको  को  न आया। 
मतलब  की रिस्तेदारी,
मुझको  न भाया। 

मैं  तो साफ़ था  दिल से,
सो सब साफ़ कह दिआ,
फ़िर  कोई कुछ भी सोचें,
मुझे   कुछ आया न गया। 

मैंने तो दे दिआ  उन्हें वो,
जो कभी अपना हुआ करता  था,
फिर ये न देखा पलट कर,
सब कुछ खो कर मैंने  क्या पाया। 

तुम्हें  मुबारक़, हे अजीज़ मेरी,
तुमने सबकुछ पा लिया,
मेरी बात और है,
मैंने तो मुहब्बत की है।    
  

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