Sunday 15 October 2017

ओस की बून्द

तेरी खूबसूरत सफेद पंखुडिओं को सराबोर करता,
तेरी दिलकश सुगंध को अविरत आत्मसात करता,
अपनी शीतल छुअन से तुझे आह्लदित करता,
मैं एक ओस की बून्द हूँ तेरी सतह पर चमकता, चहकता। 

तुम चाहो तो इसे प्रकृति की एक शानदार  प्रसंग कहो,
या फिर यह ईश्वर की एक पवित्रतम,अप्रतिम  इच्छा हो,
मेरे लिए यह एक वरदान से कम नहीं है,
कि मुझे तुम्हारा महान साहचर्य मिल रहा है। 

हो सकता है की दीर्घायु न हो हमारी सहयात्रा,
हवा या समय अंत कर दें हमारी संलिप्तता,
मैं वादा करता हूँ कि जब तक मौजूद है मेरा आखिरी कण,
मैं रखूँगा आपकी महत्ता ओ खूबसूरती का ध्यान। 

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