Friday 27 October 2017

तुम्हे याद नहीं हम भूले नहीं.

तुम्हे याद नहीं, हम भूले नहीं.
वह नदी का निर्जन किनारा,
वह रूमानी  चाँद  प्यारा,
हवा में लहराता आँचल तुम्हारा। 

हम कैसे भूलें ,
वो अमुआ की डाली में कोयल का साज,
पेडों के झुरमुट में सियार की आवाज,
तुम्हारा घबराके हम से लिपट जाने का राज। 

तुम कैसे भूल गए,
वह चाँद दिखाने के बहाने तुम्हारा मुंह चूम लेना,
झूठे गुस्से से मेरे गाल पर तुम्हारा चिकोट काटना,
रूठने मनाने की उस शाम का वह मधूर फसाना। 

हम नहीं भूलेंगे कभी,
हमारी मुहब्बत की ये नन्ही सी कथा,
जीवन की यह अनमोल मधुर व्यथा। 

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