Monday 19 February 2018

आप का मन भँवरा

हमारी  प्यार भरी बातें सुनकर,
आप यूँ हटा लेते हो हम पर से नज़र, 
जैसे  भँवरा कोई  हो जाता  है दूर,
 मधु  पीते पीते फूल से पल भर। 

फूल से उसका वो दूर हट जाना 
तुम्हारा मुझसे यूँ पल भर रूठजाना।  
उसका वह गुस्से से पंख फड़फड़ाना,
तुम्हारी  नाराज़गी  से लाल पड़जाना।   

झूठा दिखावा है, हसीन बहाना,
प्रेमिओं  का  है ये अंदाज  पुराना।  
न तुम कभी हमसे हो सकते हो नाराज़ 
न वो भँवरा कभी आएगा मधुपान से बाज।   

प्रीत-मधु रस  का  वह मीठी घोल,
तुम दोनों के लिए है अनमोल।   
भले तुम हो नारी वह है पुरुष ,
प्रेम मधुपान को दोनों है विवश।  
  

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