Tuesday 12 September 2017

विदाई संगीत १

दुःख हो ख़ुशी होहर्ष हो रोष हो,
 सन्तुष्टि हो, असन्तोष हो,
 हर भाव का आप के पास एक ही निदान,
 एक मधुर मुस्कान; माँझीदा। 

दिल ओ दिमाग का तालमेल हो,
जहां जिसकी जरूरत वहां उसी का खेल हो,
कोई पात पात हो आप डाल डाल हो,
बुद्धि  की कुश्ती में बेमिसाल हो; माँझीदा। 

चेहरे को देख कर भाव को पढ लें,
या शस्त्र उठा लें या दोस्ती का हाथ वढा लें,
सवाल से पहले जवाब को गढ लें,
एैसा हुनरमंद; माँझीदा। 

हर उन्नीस पर बीसहर नहले पर दहला,
 तुरूप का पत्ता है हर वक्त हासिल,
 हर हार को जीत में कर दें तब्दील,
एैसा है काबिल;माँझीदा। 

टिप्पणी:हमारे आदरनीय माँझी दा के लिए सेवानिवृत्ति संगीत है।  

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