Monday 18 September 2017

कहो कृष्ण

बन कर धूल मैं यशोदा के आँगन की,
तेरे अंग अंग लिपट जाना चाहती हूं। 

खिल  कर फूल मैं नंद के उपवन में ,
तेरे गले में माला बन सज जाना चाहता हूं। 

बन कर आँसू मै राधा के नयनन का,
तेरे मन को भिगो देना चाहता हूं। 

बन कर पानी मैं यमुना के बहाव का,
तेरे चरणों को धो देना चाहता हूं। 

बन कर हवा मैं गोवर्धन पहाड की,
वृन्द में ठहराव करना चाहता हूं। 

बन कर मनमोहक मोर पंख,
मैं तेरे शिखर में शोभा पाना चाहता हूं। 

मैं तेरा दास हूं, तेरे चरण के आस में हूं ,
हर हाल तेरे पास रहना चाहता हूं,
कहो कृष्ण क्या शरण दोगे ?

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