न मीरा की लगन है,
तेरे प्रेम के सागर में खो जाउँ।
और न राधा सा प्रेमी हूँ,
सब भूल कर तेरा हो जाउँ।
न मेरी आस्था द्रौपदी सी है,
मुसीबत में तेरे साथ मिल जाए।
और न मैं मासूम ध्रुव सा भगत हूं,
तेरा आशीष हर हाल मिल जाए।
न मेरा वह कर्म है,
कि तुझे पास पा जाउँ।
और न मुझ में वह धर्म है,
कि तेरा आशीष पा जाउँ।
न मेरी भक्ति में वह शक्ति है,
कि तेरे दया का साया मिल जाए,
और न मेरे कर्म में वह पुण्य है,
कि तेरे हृदय में एक जगह मिल जाए।
मैं कुछ भी नहीं हुं,
बहुत कुछ की आस कर रहा हूं
बूंद से कम हूं
,
सागर के दिल में जगह की तलाश कर रहा हूं।
कान्हा,मुझे दो वही जिसके मैं लायक हूं,
और वह जो तेरे दिल के माफिक हो।
Beautiful.heartfelt.
ReplyDelete